लॉकडाउन के चलते देश के विभिन्न इलाकों में फंसे प्रवासी कामगारों, छात्रों और पर्यटकों के लिए शुक्रवार से चलाई गई विशेष ट्रेनों में सफर करने के लिए किसी को टिकट जारी नहीं किया जाएगा। लोगों को ले जाने का किराया संबंधित राज्य सरकारों से लिया जाएगा। किराया स्लीपर क्लास का होगा और भोजन और पानी के लिए क्रमश: 30 व 20 रुपए प्रति व्यक्ति अलग से लिए जाएंगे।
रेलवे के कार्यकारी निदेशक मीडिया, आरडी बाजपेयी ने बताया कि इन ट्रेनों में उन्हीं यात्रियों को सफर की अनुमति होगी जिन्हें राज्य सरकारें नामित करेंगी। इनके अलावा किसी व्यक्ति विशेष या समूह को न तो टिकट जारी किया जाएगा न ही यात्रा की अनुमति दी जाएगी।
शुक्रवार को पहली ट्रेन हैदराबाद से झारखंड के लिए चली। सुबह 4.50 पर चली 24 बोगियों वाली ट्रेन की हर यात्री बोगी में 54 यात्री बैठाए गए। जो अन्य ट्रेनें चलीं वे अलुवा से भुवनेश्वर शाम छह बजे, नासिक से लखनऊ रात नौ बजे, नासिक से भोपाल रात आठ बजे, जयपुर से पटना रात नौ बजे और कोटा से हटिया भी रात नौ बजे रवाना हुईं। इन सभी ट्रेनों में एक हजार से लेकर 1200 यात्री रहे। यात्रियों से कहा गया है कि वे रेलवे से कोई सामान न खरीदें। उनका सारा खर्च उनके प्रदेश की सरकार उठाएगी।
प्रवासी कामगारों के अपने स्टेशन पर पहुंचने पर स्वजनों को इन्हें ले जाने की अनुमति नहीं होगी। राज्य सरकार इनकी जांच के बाद इन्हें बसों से घर पहुंचाने की व्यवस्था करेगी। मालूम हो कि कोरोना लॉकडाउन के चलते डेढ़ महीने से विभिन्न राज्यों मे फंसे प्रवासी कामगारों, छात्रों, पर्यटकों को निकालने के लिए रेलवे ने शुक्रवार को स्पेशल ट्रेनों को हरी झंडी दिखा दी। पहली ट्रेन शुक्रवार सुबह हैदराबाद से झारखंड के हटिया स्टेशन के लिए चली। उसके बाद झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और ओडिशा के लिए अतिरिक्त पांच ट्रेनें चलीं।
गौरतलब है कि दो दिन पहले गृह मंत्रालय की ओर से बसों से प्रवासियों को लाने की अनुमति देने के बावजूद राज्यों ने कोई उत्साह नहीं दिखाया था। बिहार, पंजाब, महाराष्ट्र, तेलंगाना और केरल जैसे राज्यों की ओर से मांग हो रही थी कि लंबी दूरी को देखते हुए विशेष ट्रेनें चलाई जाएं। इसके गृह मंत्रालय के संशोधित दिशा-निर्देशों के तहत रेलवे ने प्रवासी कामगारों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों, छात्रों के लिए 'श्रमिक विशेष ट्रेनें' शुरू करने का फैसला लिया।